दिल हिज्र के दर्द से बोझल है अब आन मिलो तो बेहतर हो
इस बात से हम को क्या मतलब ये कैसे हो ये क्यूँकर हो
इब्न-ए-इंशा
दिल में सज्दे किया करो 'मुफ़्ती'
इस में पर्वरदिगार रहता है
इब्न-ए-मुफ़्ती
दिल सा खिलौना हाथ आया है
खेलो तोड़ो जी बहलाओ
इब्न-ए-सफ़ी
हाथ दुनिया का भी है दिल की ख़राबी में बहुत
फिर भी ऐ दोस्त तिरी एक नज़र से कम है
इदरीस बाबर
दिल कभी ख़्वाब के पीछे कभी दुनिया की तरफ़
एक ने अज्र दिया एक ने उजरत नहीं दी
इफ़्तिख़ार आरिफ़
दिल पागल है रोज़ नई नादानी करता है
आग में आग मिलाता है फिर पानी करता है
इफ़्तिख़ार आरिफ़
हम अपने रफ़्तगाँ को याद रखना चाहते हैं
दिलों को दर्द से आबाद रखना चाहते हैं
इफ़्तिख़ार आरिफ़