EN اردو
दोस्त जब ज़ी-वक़ार होता है | शाही शायरी
dost jab zi-waqar hota hai

ग़ज़ल

दोस्त जब ज़ी-वक़ार होता है

इन्दिरा वर्मा

;

दोस्त जब ज़ी-वक़ार होता है
दोस्ती का मेयार होता है

When the friend is dignified and honourable
Friendship is the hallmark of dignity

अब तसव्वुर की सूनी वादी में
रोज़ जश्न-ए-बहार होता है

Now in the desolate Valley of the imagination
The Festival of Spring is celebrated everyday

गुलशन-ए-जाँ में उन के आने से
गुल-सिफ़त कारोबार होता है

With their coming into the Garden of Life
Business, Like the transaction of flowers,blooms

जब बिछड़ जाता है कोई अपना
ग़म ही बस रोज़गार होता है

When those close to us are separated
Sorrow is the only trade and commerce

चाँद का रक़्स हो रहा है कहीं
दिल यहाँ से निसार होता है

Somewhere,the dance of the moon is taking place
Here,our heart is being frittered away

शाख़-दर-शाख़ होती है ज़ख़्मी
जब परिंदा शिकार होता है

Branch after branch gets wounded
When the bird becomes the prey