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टूटी हुई शबीह की तस्ख़ीर क्या करें | शाही शायरी
TuTi hui shabih ki tasKHir kya karen

ग़ज़ल

टूटी हुई शबीह की तस्ख़ीर क्या करें

अकरम नक़्क़ाश

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टूटी हुई शबीह की तस्ख़ीर क्या करें
बुझते हुए ख़याल को ज़ंजीर क्या करें

अंधा सफ़र है ज़ीस्त किसे छोड़ दे कहाँ
उलझा हुआ सा ख़्वाब है ताबीर क्या करें

सीने में जज़्ब कितने समुंदर हुए मगर
आँखों पे इख़्तियार की तदबीर क्या करें

बस ये हुआ कि रास्ता चुप-चाप कट गया
इतनी सी वारदात की तश्हीर क्या करें

साअत कोई गुज़ार भी लें जी तो लें कभी
कुछ और अपने बाब में तहरीर क्या करें