मंदिर भी साफ़ हम ने किए मस्जिदें भी पाक
मुश्किल ये है कि दिल की सफ़ाई न हो सकी
तिलोकचंद महरूम
मंदिर भी साफ़ हम ने किए मस्जिदें भी पाक
मुश्किल ये है कि दिल की सफ़ाई न हो सकी
तिलोकचंद महरूम
न इल्म है न ज़बाँ है तो किस लिए 'महरूम'
तुम अपने आप को शाइर ख़याल कर बैठे
तिलोकचंद महरूम
न रही बे-ख़ुदी-ए-शौक़ में इतनी भी ख़बर
हिज्र अच्छा है कि 'महरूम' विसाल अच्छा है
तिलोकचंद महरूम
न रही बे-ख़ुदी-ए-शौक़ में इतनी भी ख़बर
हिज्र अच्छा है कि 'महरूम' विसाल अच्छा है
तिलोकचंद महरूम
साफ़ आता है नज़र अंजाम हर आग़ाज़ का
ज़िंदगानी मौत की तम्हीद है मेरे लिए
तिलोकचंद महरूम
तलातुम आरज़ू में है न तूफ़ाँ जुस्तुजू में है
जवानी का गुज़र जाना है दरिया का उतर जाना
तिलोकचंद महरूम