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2 लाइन शायरी शायरी | शाही शायरी

2 लाइन शायरी

22761 शेर

जिन से मिलना न हुआ उन से बिछड़ कर रोए
हम तो आँखों की हर इक हद से गुज़र कर रोए

त्रिपुरारि




जिसे तुम ढूँडती रहती हो मुझ में
वो लड़का जाने कब का मर चुका है

त्रिपुरारि




कई लाशें हैं मुझ में दफ़्न या'नी
मैं क़ब्रिस्तान हूँ शुरूआत ही से

त्रिपुरारि




कई लाशें हैं मुझ में दफ़्न या'नी
मैं क़ब्रिस्तान हूँ शुरूआत ही से

त्रिपुरारि




किसी पर भी यक़ीं कर लेते हो तुम
तुम्हारे साथ क्या धोका हुआ है

त्रिपुरारि




कितनी दिलकश हैं ये बारिश की फुवारें लेकिन
ऐसी बारिश में मिरी जान भी जा सकती है

त्रिपुरारि




कितनी दिलकश हैं ये बारिश की फुवारें लेकिन
ऐसी बारिश में मिरी जान भी जा सकती है

त्रिपुरारि