धूल उड़ती है धूप बैठी है
ओस ने आँसुओं का घर छोड़ा
शीन काफ़ निज़ाम
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
| 2 लाइन शायरी |
धूल उड़ती है धूप बैठी है
ओस ने आँसुओं का घर छोड़ा
शीन काफ़ निज़ाम
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
| 2 लाइन शायरी |
दोस्ती इश्क़ और वफ़ादारी
सख़्त जाँ में भी नर्म गोशे हैं
शीन काफ़ निज़ाम
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
एक आसेब है हर इक घर में
एक ही चेहरा दर-ब-दर चमके
शीन काफ़ निज़ाम
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
| 2 लाइन शायरी |
एक आसेब है हर इक घर में
एक ही चेहरा दर-ब-दर चमके
शीन काफ़ निज़ाम
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
| 2 लाइन शायरी |
गली के मोड़ से घर तक अँधेरा क्यूँ है 'निज़ाम'
चराग़ याद का उस ने बुझा दिया होगा
शीन काफ़ निज़ाम
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
हम 'कबीर' इस काल के खड़े हैं ख़ाली हाथ
संग किसी के हम नहीं और हम सब के साथ
शीन काफ़ निज़ाम
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
| 2 लाइन शायरी |