साहिलों की शफ़ीक़ आँखों में
धूप कपड़े उतार कर चमके
शीन काफ़ निज़ाम
सुन लिया होगा हवाओं में बिखर जाता है
इस लिए बच्चे ने काग़ज़ पे घरौंदा लिख्खा
शीन काफ़ निज़ाम
सुन लिया होगा हवाओं में बिखर जाता है
इस लिए बच्चे ने काग़ज़ पे घरौंदा लिख्खा
शीन काफ़ निज़ाम
ऊँची इमारतें तो बड़ी शानदार हैं
लेकिन यहाँ तो रेन-बसेरे थे क्या हुए
शीन काफ़ निज़ाम
वहशत तो संग-ओ-ख़िश्त की तरतीब ले गई
अब फ़िक्र ये है दश्त की वुसअत भी ले न जाए
शीन काफ़ निज़ाम
वहशत तो संग-ओ-ख़िश्त की तरतीब ले गई
अब फ़िक्र ये है दश्त की वुसअत भी ले न जाए
शीन काफ़ निज़ाम
याद आई परदेस में उस की इक इक बात
घर का दिन ही दिन मियाँ घर की रात ही रात
शीन काफ़ निज़ाम