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2 लाइन शायरी शायरी | शाही शायरी

2 लाइन शायरी

22761 शेर

साहिलों की शफ़ीक़ आँखों में
धूप कपड़े उतार कर चमके

शीन काफ़ निज़ाम




सुन लिया होगा हवाओं में बिखर जाता है
इस लिए बच्चे ने काग़ज़ पे घरौंदा लिख्खा

शीन काफ़ निज़ाम




सुन लिया होगा हवाओं में बिखर जाता है
इस लिए बच्चे ने काग़ज़ पे घरौंदा लिख्खा

शीन काफ़ निज़ाम




ऊँची इमारतें तो बड़ी शानदार हैं
लेकिन यहाँ तो रेन-बसेरे थे क्या हुए

शीन काफ़ निज़ाम




वहशत तो संग-ओ-ख़िश्त की तरतीब ले गई
अब फ़िक्र ये है दश्त की वुसअत भी ले न जाए

शीन काफ़ निज़ाम




वहशत तो संग-ओ-ख़िश्त की तरतीब ले गई
अब फ़िक्र ये है दश्त की वुसअत भी ले न जाए

शीन काफ़ निज़ाम




याद आई परदेस में उस की इक इक बात
घर का दिन ही दिन मियाँ घर की रात ही रात

शीन काफ़ निज़ाम