बदलती रुत का नौहा सुन रहा है
नदी सोई है जंगल जागता है
शीन काफ़ निज़ाम
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बरसों से घूमता है इसी तरह रात दिन
लेकिन ज़मीन मिलती नहीं आसमान को
शीन काफ़ निज़ाम
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बरसों से घूमता है इसी तरह रात दिन
लेकिन ज़मीन मिलती नहीं आसमान को
शीन काफ़ निज़ाम
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बीच का बढ़ता हुआ हर फ़ासला ले जाएगा
एक तूफ़ाँ आएगा सब कुछ बहा ले जाएगा
शीन काफ़ निज़ाम
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चुभन ये पीठ में कैसी है मुड़ के देख तो ले
कहीं कोई तुझे पीछे से देखता होगा
शीन काफ़ निज़ाम
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चुभन ये पीठ में कैसी है मुड़ के देख तो ले
कहीं कोई तुझे पीछे से देखता होगा
शीन काफ़ निज़ाम
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दरवाज़ा कोई घर से निकलने के लिए दे
बे-ख़ौफ़ कोई रास्ता चलने के लिए दे
शीन काफ़ निज़ाम
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