हम 'कबीर' इस काल के खड़े हैं ख़ाली हाथ
संग किसी के हम नहीं और हम सब के साथ
शीन काफ़ निज़ाम
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
| 2 लाइन शायरी |
जिन से अँधेरी रातों में जल जाते थे दिए
कितने हसीन लोग थे क्या जाने क्या हुए
शीन काफ़ निज़ाम
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
कहाँ जाती हैं बारिश की दुआएँ
शजर पर एक भी पत्ता नहीं है
शीन काफ़ निज़ाम
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
| 2 लाइन शायरी |
कहाँ जाती हैं बारिश की दुआएँ
शजर पर एक भी पत्ता नहीं है
शीन काफ़ निज़ाम
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
| 2 लाइन शायरी |
किसी के साथ अब साया नहीं है
कोई भी आदमी पूरा नहीं है
शीन काफ़ निज़ाम
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
कोई दुआ कभी तो हमारी क़ुबूल कर
वर्ना कहेंगे लोग दुआ से असर गया
शीन काफ़ निज़ाम
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
| 2 लाइन शायरी |
कोई दुआ कभी तो हमारी क़ुबूल कर
वर्ना कहेंगे लोग दुआ से असर गया
शीन काफ़ निज़ाम
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
| 2 लाइन शायरी |