झूट पर उस के भरोसा कर लिया
धूप इतनी थी कि साया कर लिया
शारिक़ कैफ़ी
झूट पर उस के भरोसा कर लिया
धूप इतनी थी कि साया कर लिया
शारिक़ कैफ़ी
जिन पर मैं थोड़ा सा भी आसान हुआ हूँ
वही बता सकते हैं कितना मुश्किल था मैं
शारिक़ कैफ़ी
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
कभी ख़ुद को छू कर नहीं देखता हूँ
ख़ुदा जाने किस वहम में मुब्तला हूँ
शारिक़ कैफ़ी
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
| 2 लाइन शायरी |
कभी ख़ुद को छू कर नहीं देखता हूँ
ख़ुदा जाने किस वहम में मुब्तला हूँ
शारिक़ कैफ़ी
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
| 2 लाइन शायरी |
कहाँ सोचा था मैं ने बज़्म-आराई से पहले
ये मेरी आख़िरी महफ़िल है तन्हाई से पहले
शारिक़ कैफ़ी
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
कैसे टुकड़ों में उसे कर लूँ क़ुबूल
जो मिरा सारे का सारा था कभी
शारिक़ कैफ़ी
टैग:
| 2 लाइन शायरी |