मंज़िलों पर हम मिलें ये तय हुआ
वापसी में साथ पक्का कर लिया
शारिक़ कैफ़ी
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मंज़िलों पर हम मिलें ये तय हुआ
वापसी में साथ पक्का कर लिया
शारिक़ कैफ़ी
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मौत ने सारी रात हमारी नब्ज़ टटोली
ऐसा मरने का माहौल बनाया हम ने
शारिक़ कैफ़ी
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नया यूँ है कि अन-देखा है सब कुछ
यहाँ तक रौशनी आती कहाँ थी
शारिक़ कैफ़ी
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नया यूँ है कि अन-देखा है सब कुछ
यहाँ तक रौशनी आती कहाँ थी
शारिक़ कैफ़ी
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नींद के वास्ते वैसे भी ज़रूरी है थकन
प्यास भड़काएँ किसी साए का पीछा कर आएँ
शारिक़ कैफ़ी
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पहली बार वो ख़त लिक्खा था
जिस का जवाब भी आ सकता था
शारिक़ कैफ़ी