बहुत हिम्मत का है ये काम 'शारिक़'
कि शरमाते नहीं डरते हुए हम
शारिक़ कैफ़ी
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बहुत हिम्मत का है ये काम 'शारिक़'
कि शरमाते नहीं डरते हुए हम
शारिक़ कैफ़ी
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भीड़ में जब तक रहते हैं जोशीले हैं
अलग अलग हम लोग बहुत शर्मीले हैं
शारिक़ कैफ़ी
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बीनाई भी क्या क्या धोके देती है
दूर से देखो सारे दरिया नीले हैं
शारिक़ कैफ़ी
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बीनाई भी क्या क्या धोके देती है
दूर से देखो सारे दरिया नीले हैं
शारिक़ कैफ़ी
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एक दिन हम अचानक बड़े हो गए
खेल में दौड़ कर उस को छूते हुए
शारिक़ कैफ़ी
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फ़ासला रख के भी क्या हासिल हुआ
आज भी उस का ही कहलाता हूँ मैं
शारिक़ कैफ़ी
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