आलम में जिस की धूम थी उस शाहकार पर
दीमक ने जो लिखे कभी वो तब्सिरे भी देख
शकेब जलाली
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अभी अरमान कुछ बाक़ी हैं दिल में
मुझे फिर आज़माया जा रहा है
शकेब जलाली
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अभी अरमान कुछ बाक़ी हैं दिल में
मुझे फिर आज़माया जा रहा है
शकेब जलाली
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बद-क़िस्मती को ये भी गवारा न हो सका
हम जिस पे मर मिटे वो हमारा न हो सका
शकेब जलाली
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बस एक रात ठहरना है क्या गिला कीजे
मुसाफ़िरों को ग़नीमत है ये सराए बहुत
शकेब जलाली
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बस एक रात ठहरना है क्या गिला कीजे
मुसाफ़िरों को ग़नीमत है ये सराए बहुत
शकेब जलाली
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दिल सा अनमोल रतन कौन ख़रीदेगा 'शकेब'
जब बिकेगा तो ये बे-दाम ही बिक जाएगा
शकेब जलाली
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