आँखों में तेरी देख रहा हूँ मैं अपनी शक्ल
ये कोई वाहिमा ये कोई ख़्वाब तो नहीं
शहरयार
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आँखों में तेरी देख रहा हूँ मैं अपनी शक्ल
ये कोई वाहिमा ये कोई ख़्वाब तो नहीं
शहरयार
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आसमाँ कुछ भी नहीं अब तेरे करने के लिए
मैं ने सब तय्यारियाँ कर ली हैं मरने के लिए
शहरयार
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अब जिधर देखिए लगता है कि इस दुनिया में
कहीं कुछ चीज़ ज़ियादा है कहीं कुछ कम है
शहरयार
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अब जिधर देखिए लगता है कि इस दुनिया में
कहीं कुछ चीज़ ज़ियादा है कहीं कुछ कम है
शहरयार
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अब जी के बहलने की है एक यही सूरत
बीती हुई कुछ बातें हम याद करें फिर से
शहरयार
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अब रात की दीवार को ढाना है ज़रूरी
ये काम मगर मुझ से अकेले नहीं होगा
शहरयार