अब रात की दीवार को ढाना है ज़रूरी
ये काम मगर मुझ से अकेले नहीं होगा
शहरयार
अब तो ले दे के यही काम है इन आँखों का
जिन को देखा नहीं उन ख़्वाबों की ताबीर करें
शहरयार
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ऐसे हिज्र के मौसम कब कब आते हैं
तेरे अलावा याद हमें सब आते हैं
शहरयार
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ऐसे हिज्र के मौसम कब कब आते हैं
तेरे अलावा याद हमें सब आते हैं
शहरयार
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अजीब सानेहा मुझ पर गुज़र गया यारो
मैं अपने साए से कल रात डर गया यारो
शहरयार
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अक्स-ए-याद-ए-यार को धुँदला किया है
मैं ने ख़ुद को जान कर तन्हा किया है
शहरयार
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बहुत शोर था जब समाअ'त गई
बहुत भीड़ थी जब अकेले हुए
शहरयार
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