वो कोई आम सा ही जुमला था
तेरे मुँह से बुरा लगा मुझ को
सरफ़राज़ नवाज़
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इक अदावत से फ़राग़त नहीं मिलती वर्ना
कौन कहता है मोहब्बत नहीं कर सकते हम
सरफ़राज़ ज़ाहिद
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इक अदावत से फ़राग़त नहीं मिलती वर्ना
कौन कहता है मोहब्बत नहीं कर सकते हम
सरफ़राज़ ज़ाहिद
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साल गुज़र जाता है सारा
और कैलन्डर रह जाता है
सरफ़राज़ ज़ाहिद
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सुना है कोई दीवाना यहाँ पर
रहा करता था वीराने से पहले
सरफ़राज़ ज़ाहिद
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सुना है कोई दीवाना यहाँ पर
रहा करता था वीराने से पहले
सरफ़राज़ ज़ाहिद
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सब की अपनी मंज़िलें थीं सब के अपने रास्ते
एक आवारा फिरे हम दर-ब-दर सब से अलग
सरमद सहबाई
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