वक़्त बड़ा चालाक है वक़्त के साथ चलो
सारे दिन चलते रहियो सारी रात चलो
सरशार बुलंदशहरी
वक़्त बहुत मसरूफ़ है थोड़ा वक़्त निकाल
इक दो साअत के लिए अपना-आप सँभाल
सरशार बुलंदशहरी
चमन में इख़्तिलात-ए-रंग-ओ-बू से बात बनती है
हम ही हम हैं तो क्या हम हैं तुम ही तुम हो तो क्या तुम हो
सरशार सैलानी
चमन में इख़्तिलात-ए-रंग-ओ-बू से बात बनती है
हम ही हम हैं तो क्या हम हैं तुम ही तुम हो तो क्या तुम हो
सरशार सैलानी
इक कार-ए-मुहाल कर रहा हूँ
ज़िंदा हूँ कमाल कर रहा हूँ
सरशार सिद्दीक़ी
मैं ने इबादतों को मोहब्बत बना दिया
आँखें बुतों के साथ रहीं दिल ख़ुदा के साथ
सरशार सिद्दीक़ी
मैं ने इबादतों को मोहब्बत बना दिया
आँखें बुतों के साथ रहीं दिल ख़ुदा के साथ
सरशार सिद्दीक़ी