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2 लाइन शायरी शायरी | शाही शायरी

2 लाइन शायरी

22761 शेर

वक़्त बड़ा चालाक है वक़्त के साथ चलो
सारे दिन चलते रहियो सारी रात चलो

सरशार बुलंदशहरी




वक़्त बहुत मसरूफ़ है थोड़ा वक़्त निकाल
इक दो साअत के लिए अपना-आप सँभाल

सरशार बुलंदशहरी




चमन में इख़्तिलात-ए-रंग-ओ-बू से बात बनती है
हम ही हम हैं तो क्या हम हैं तुम ही तुम हो तो क्या तुम हो

सरशार सैलानी




चमन में इख़्तिलात-ए-रंग-ओ-बू से बात बनती है
हम ही हम हैं तो क्या हम हैं तुम ही तुम हो तो क्या तुम हो

सरशार सैलानी




इक कार-ए-मुहाल कर रहा हूँ
ज़िंदा हूँ कमाल कर रहा हूँ

सरशार सिद्दीक़ी




मैं ने इबादतों को मोहब्बत बना दिया
आँखें बुतों के साथ रहीं दिल ख़ुदा के साथ

सरशार सिद्दीक़ी




मैं ने इबादतों को मोहब्बत बना दिया
आँखें बुतों के साथ रहीं दिल ख़ुदा के साथ

सरशार सिद्दीक़ी