उस के जाने का यक़ीं तो है मगर उलझन में हूँ
फूल के हाथों से ये ख़ुश-बू जुदा कैसे हुई
सरमद सहबाई
उस के जाने का यक़ीं तो है मगर उलझन में हूँ
फूल के हाथों से ये ख़ुश-बू जुदा कैसे हुई
सरमद सहबाई
उस के मिलने पे भी महसूस हुआ है 'सरमद'
उस ने देखा ही न हो मैं ने बुलाया ही न हो
सरमद सहबाई
कोयल आम की डाल पे बैठी शोर मचाए
फूल आया फल आ गए इक तुम ही नहीं आए
सरशार बुलंदशहरी
कोयल आम की डाल पे बैठी शोर मचाए
फूल आया फल आ गए इक तुम ही नहीं आए
सरशार बुलंदशहरी
रस्ते में इक पेड़ पर पंछी बोल गया
पंछी की आवाज़ से जीवन डोल गया
सरशार बुलंदशहरी
वक़्त बड़ा चालाक है वक़्त के साथ चलो
सारे दिन चलते रहियो सारी रात चलो
सरशार बुलंदशहरी