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2 लाइन शायरी शायरी | शाही शायरी

2 लाइन शायरी

22761 शेर

साक़ी ओ वाइज़ में ज़िद है बादा-कश चक्कर में है
तौबा लब पर और लब डूबा हुआ साग़र में है

अहसन मारहरवी




शेख़ को जन्नत मुबारक हम को दोज़ख़ है क़ुबूल
फ़िक्र-ए-उक़्बा वो करें हम ख़िदमत-ए-दुनिया करें

अहसन मारहरवी




तंग आ गया हूँ वुस्अत-ए-मफ़हूम-ए-इश्क़ से
निकला जो हर्फ़ मुँह से वो अफ़्साना हो गया

अहसन मारहरवी




तमाम उम्र इसी रंज में तमाम हुई
कभी ये तुम ने न पूछा तिरी ख़ुशी क्या है

अहसन मारहरवी




ये सदमा जीते जी दिल से हमारे जा नहीं सकता
उन्हें वो भूले बैठे हैं जो उन पर मरने वाले हैं

अहसन मारहरवी




गर्म-ए-सफ़र है गर्म-ए-सफ़र रह मुड़ मुड़ कर मत पीछे देख
एक दो मंज़िल साथ चलेगी पटके हुए क़दमों की चाप

अहसन शफ़ीक़




बरसात थम चुकी है मगर हर शजर के पास
इतना तो है कि आप का दामन भिगो सके

अहसन यूसुफ़ ज़ई