बाहम जो हुस्न ओ इश्क़ में याराना हो गया
कोई परी बना कोई दीवाना हो गया
इतनी सी बात पर कि हुई शम्अ बे-हिजाब
तय्यार जान देने को परवाना हो गया
तंग आ गया हूँ वुस्अत-ए-मफ़हूम-ए-इश्क़ से
निकला जो हर्फ़ मुँह से वो अफ़्साना हो गया
हर दिल में याद बन के छुपे हैं बुतान-ए-इश्क़
अल्लाह तेरा घर भी सनम-ख़ाना हो गया
फ़ारिग़ तकल्लुफ़ात से हैं रिंद-ए-बे-रिया
चुल्लू ही उन के वास्ते पैमाना हो गया
तफ़्सील अपने जौर-ओ-सितम की न पूछिए
क्या क्या न आप ने किया क्या क्या न हो गया
देखी है जब से आँख किसी की फिरी हुई
आलम मिरी निगाह में बेगाना हो गया
ख़ुश हूँ कि हो रहा है ये इरशाद ले के दिल
'अहसन' क़ुबूल तेरा ये नज़राना हो गया
ग़ज़ल
बाहम जो हुस्न ओ इश्क़ में याराना हो गया
अहसन मारहरवी