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इरफ़ान सिद्दीक़ी शायरी | शाही शायरी

इरफ़ान सिद्दीक़ी शेर

79 शेर

होशियारी दिल-ए-नादान बहुत करता है
रंज कम सहता है एलान बहुत करता है

इरफ़ान सिद्दीक़ी




हवा-ए-कूफ़ा-ए-ना-मेहरबाँ को हैरत है
कि लोग ख़ेमा-ए-सब्र-ओ-रज़ा में ज़िंदा हैं

इरफ़ान सिद्दीक़ी




हरीफ़-ए-तेग़-ए-सितम-गर तो कर दिया है तुझे
अब और मुझ से तू क्या चाहता है सर मेरे

इरफ़ान सिद्दीक़ी




हमें तो ख़ैर बिखरना ही था कभी न कभी
हवा-ए-ताज़ा का झोंका बहाना हो गया है

इरफ़ान सिद्दीक़ी




हमारे दिल को इक आज़ार है ऐसा नहीं लगता
कि हम दफ़्तर भी जाते हैं ग़ज़ल-ख़्वानी भी करते हैं

इरफ़ान सिद्दीक़ी




हम तो सहरा हुए जाते थे कि उस ने आ कर
शहर आबाद किया नहर-ए-सबा जारी की

इरफ़ान सिद्दीक़ी




हम तो रात का मतलब समझें ख़्वाब, सितारे, चाँद, चराग़
आगे का अहवाल वो जाने जिस ने रात गुज़ारी हो

इरफ़ान सिद्दीक़ी