होशियारी दिल-ए-नादान बहुत करता है
रंज कम सहता है एलान बहुत करता है
इरफ़ान सिद्दीक़ी
हवा-ए-कूफ़ा-ए-ना-मेहरबाँ को हैरत है
कि लोग ख़ेमा-ए-सब्र-ओ-रज़ा में ज़िंदा हैं
इरफ़ान सिद्दीक़ी
हरीफ़-ए-तेग़-ए-सितम-गर तो कर दिया है तुझे
अब और मुझ से तू क्या चाहता है सर मेरे
इरफ़ान सिद्दीक़ी
हमें तो ख़ैर बिखरना ही था कभी न कभी
हवा-ए-ताज़ा का झोंका बहाना हो गया है
इरफ़ान सिद्दीक़ी
हमारे दिल को इक आज़ार है ऐसा नहीं लगता
कि हम दफ़्तर भी जाते हैं ग़ज़ल-ख़्वानी भी करते हैं
इरफ़ान सिद्दीक़ी
हम तो सहरा हुए जाते थे कि उस ने आ कर
शहर आबाद किया नहर-ए-सबा जारी की
इरफ़ान सिद्दीक़ी
हम तो रात का मतलब समझें ख़्वाब, सितारे, चाँद, चराग़
आगे का अहवाल वो जाने जिस ने रात गुज़ारी हो
इरफ़ान सिद्दीक़ी