सरहदें अच्छी कि सरहद पे न रुकना अच्छा
सोचिए आदमी अच्छा कि परिंदा अच्छा
इरफ़ान सिद्दीक़ी
मुझे ये ज़िंदगी नुक़सान का सौदा नहीं लगती
मैं आने वाली दुनिया को भी तख़मीने में रखता हूँ
इरफ़ान सिद्दीक़ी
नफ़रत के ख़ज़ाने में तो कुछ भी नहीं बाक़ी
थोड़ा गुज़ारे के लिए प्यार बचाएँ
इरफ़ान सिद्दीक़ी
रात को जीत तो पाता नहीं लेकिन ये चराग़
कम से कम रात का नुक़सान बहुत करता है
इरफ़ान सिद्दीक़ी
रफ़ाक़तों को ज़रा सोचने का मौक़ा दो
कि इस के ब'अद घने जंगलों का रस्ता है
इरफ़ान सिद्दीक़ी
रेत पर थक के गिरा हूँ तो हवा पूछती है
आप इस दश्त में क्यूँ आए थे वहशत के बग़ैर
इरफ़ान सिद्दीक़ी
रूह को रूह से मिलने नहीं देता है बदन
ख़ैर ये बीच की दीवार गिरा चाहती है
इरफ़ान सिद्दीक़ी
रूप की धूप कहाँ जाती है मालूम नहीं
शाम किस तरह उतर आती है रुख़्सारों पर
इरफ़ान सिद्दीक़ी
सब को निशाना करते करते
ख़ुद को मार गिराया हम ने
इरफ़ान सिद्दीक़ी