मिरे गुमाँ ने मिरे सब यक़ीं जला डाले
ज़रा सा शोला भरी बस्तियों को चाट गया
इरफ़ान सिद्दीक़ी
मेरे होने में किसी तौर से शामिल हो जाओ
तुम मसीहा नहीं होते हो तो क़ातिल हो जाओ
इरफ़ान सिद्दीक़ी
मौला, फिर मिरे सहरा से बिन बरसे बादल लौट गए
ख़ैर शिकायत कोई नहीं है अगले बरस बरसा देना
इरफ़ान सिद्दीक़ी
मैं तेरी मंज़िल-ए-जाँ तक पहुँच तो सकता हूँ
मगर ये राह बदन की तरफ़ से आती है
इरफ़ान सिद्दीक़ी
मैं ने इतना उसे चाहा है कि वो जान-ए-मुराद
ख़ुद को ज़ंजीर-ए-मोहब्बत से रिहा चाहती है
इरफ़ान सिद्दीक़ी
मैं कहाँ तक दिल-ए-सादा को भटकने से बचाऊँ
आँख जब उठ्ठे गुनहगार बना दे मुझ को
इरफ़ान सिद्दीक़ी
मैं झपटने के लिए ढूँढ रहा हूँ मौक़ा
और वो शोख़ समझता है कि शरमाता हूँ
इरफ़ान सिद्दीक़ी
मैं चाहता हूँ यहीं सारे फ़ैसले हो जाएँ
कि इस के ब'अद ये दुनिया कहाँ से लाऊँगा मैं
इरफ़ान सिद्दीक़ी
मगर गिरफ़्त में आता नहीं बदन उस का
ख़याल ढूँढता रहता है इस्तिआरा कोई
इरफ़ान सिद्दीक़ी