आगही कर्ब वफ़ा सब्र तमन्ना एहसास
मेरे ही सीने में उतरे हैं ये ख़ंजर सारे
बशीर फ़ारूक़ी
सब्र ऐ दिल कि ये हालत नहीं देखी जाती
ठहर ऐ दर्द कि अब ज़ब्त का यारा न रहा
हबीब अशअर देहलवी
वहाँ से है मिरी हिम्मत की इब्तिदा वल्लाह
जो इंतिहा है तिरे सब्र आज़माने की
जोश मलीहाबादी
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हर-चंद तुझे सब्र नहीं दर्द व-लेकिन
इतना भी न मिलियो कि वो बदनाम बहुत हो
ख़्वाजा मीर 'दर्द'
चारा-ए-दिल सिवाए सब्र नहीं
सो तुम्हारे सिवा नहीं होता
मोमिन ख़ाँ मोमिन
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बहुत कम बोलना अब कर दिया है
कई मौक़ों पे ग़ुस्सा भी पिया है
शम्स तबरेज़ी
ऐसी प्यास और ऐसा सब्र
दरिया पानी पानी है
विकास शर्मा राज़