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जलालुद्दीन अकबर शायरी | शाही शायरी

जलालुद्दीन अकबर शेर

6 शेर

दिल को इस तरह देखने वाले
दिल अगर बे-क़रार हो जाए

जलालुद्दीन अकबर




हर आन एक ताज़ा शिकायत है आप से
अल्लाह मुझ को कितनी मोहब्बत है आप से

जलालुद्दीन अकबर




इश्क़ से है फ़रोग़-ए-रंग-ए-जहाँ
इब्तिदा हम हैं इंतिहा हैं हम

जलालुद्दीन अकबर




तिरा वस्ल है मुझे बे-ख़ुदी तिरा हिज्र है मुझे आगही
तिरा वस्ल मुझ को फ़िराक़ है तिरा हिज्र मुझ को विसाल है

जलालुद्दीन अकबर




ये भूल भी क्या भूल है ये याद भी क्या याद
तू याद है और कोई नहीं तेरे सिवा याद

जलालुद्दीन अकबर




ये काएनात ये बज़्म-ए-ज़ुहूर कुछ भी नहीं
तिरी नज़र में नहीं है जो नूर कुछ भी नहीं

जलालुद्दीन अकबर