ये भूल भी क्या भूल है ये याद भी क्या याद
तू याद है और कोई नहीं तेरे सिवा याद
उस हुस्न-ए-तअल्लुक़ का अदा शुक्र हो क्यूँ-कर
मैं ने जो किया याद तो उस ने भी किया याद
उस मर्द-ए-ख़ुदा-मस्त की क्या बात है 'अकबर'
जिस को न रहा कुछ भी बजुज़ याद-ए-ख़ुदा याद
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ग़ज़ल
ये भूल भी क्या भूल है ये याद भी क्या याद
जलालुद्दीन अकबर