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अख्तर लख़नवी शायरी | शाही शायरी

अख्तर लख़नवी शेर

11 शेर

देखो उस ने क़दम क़दम पर साथ दिया बेगाने का
'अख़्तर' जिस ने अहद किया था तुम से साथ निभाने का

अख्तर लख़नवी




हमें ख़ुदा पे भरोसा है ना-ख़ुदा पे नहीं
ख़ुदा जो देता है वो ना-ख़ुदा नहीं देता

अख्तर लख़नवी




हसद का रंग पसंदीदा रंग है सब का
यहाँ किसी को कोई अब दुआ नहीं देता

अख्तर लख़नवी




इक तेरे ही कूचे पर मौक़ूफ़ नहीं है कुछ
हर गाम हैं ताज़ीरें हम लोग जहाँ भी हैं

अख्तर लख़नवी




इसी हसरत में कटी राह-ए-हयात
कोई दो-चार क़दम साथ चले

अख्तर लख़नवी




जज़्बे की कड़ी धूप हो तो क्या नहीं मुमकिन
ये किस ने कहा संग पिघलता ही नहीं है

अख्तर लख़नवी




ख़्वाबीदा अपने चाहने वालों को देख कर
मुमकिन है लौट जाए सहर जागते रहो

अख्तर लख़नवी




कितने महबूब घरों से गए किस को मालूम
वापस आए हैं जो अपनों में ख़बर की सूरत

अख्तर लख़नवी




मय-ए-कोहना न सही ख़ून-ए-तमन्ना ही सही
एक पैमाना मिरे सामने लाया तो गया

अख्तर लख़नवी