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अख्तर लख़नवी शायरी | शाही शायरी

अख्तर लख़नवी शेर

11 शेर

मौसम-ए-गुल तिरे सदक़े तिरी आमद के निसार
देख मुझ से मिरा साया भी जुदा है अब के

अख्तर लख़नवी




सूने कितने बाम हुए कितने आँगन बे-नूर हुए
चाँद से चेहरे याद आते हैं चाँद निकलते वक़्त बहुत

अख्तर लख़नवी