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जिंदगी शायरी | शाही शायरी

जिंदगी

163 शेर

नींद को लोग मौत कहते हैं
ख़्वाब का नाम ज़िंदगी भी है

अहसन यूसुफ़ ज़ई




जी लगा रक्खा है यूँ ताबीर के औहाम से
ज़िंदगी क्या है मियाँ बस एक घर ख़्वाबों का है

ऐन ताबिश




ज़िंदगी हम से चाहती क्या है
चाहती क्या है ज़िंदगी हम से

अजमल सिराज




हर नफ़स मिन्नत-कश-ए-आलाम है
ज़िंदगी शायद इसी का नाम है

अकबर हैदरी




बहुत क़रीब रही है ये ज़िंदगी हम से
बहुत अज़ीज़ सही ए'तिबार कुछ भी नहीं

अख़्तर सईद ख़ान




कौन जीने के लिए मरता रहे
लो सँभालो अपनी दुनिया हम चले

अख़्तर सईद ख़ान




तू कहानी ही के पर्दे में भली लगती है
ज़िंदगी तेरी हक़ीक़त नहीं देखी जाती

अख़्तर सईद ख़ान