नींद को लोग मौत कहते हैं
ख़्वाब का नाम ज़िंदगी भी है
अहसन यूसुफ़ ज़ई
जी लगा रक्खा है यूँ ताबीर के औहाम से
ज़िंदगी क्या है मियाँ बस एक घर ख़्वाबों का है
ऐन ताबिश
ज़िंदगी हम से चाहती क्या है
चाहती क्या है ज़िंदगी हम से
अजमल सिराज
हर नफ़स मिन्नत-कश-ए-आलाम है
ज़िंदगी शायद इसी का नाम है
अकबर हैदरी
टैग:
| जिंदगी |
| 2 लाइन शायरी |
बहुत क़रीब रही है ये ज़िंदगी हम से
बहुत अज़ीज़ सही ए'तिबार कुछ भी नहीं
अख़्तर सईद ख़ान
कौन जीने के लिए मरता रहे
लो सँभालो अपनी दुनिया हम चले
अख़्तर सईद ख़ान
तू कहानी ही के पर्दे में भली लगती है
ज़िंदगी तेरी हक़ीक़त नहीं देखी जाती
अख़्तर सईद ख़ान
टैग:
| जिंदगी |
| 2 लाइन शायरी |