हमें याद रखना हमें याद करना
अगर कोई ताज़ा सितम याद आए
हफ़ीज़ जौनपुरी
याद आईं उस को देख के अपनी मुसीबतें
रोए हम आज ख़ूब लिपट कर रक़ीब से
हफ़ीज़ जौनपुरी
आफ़त-ए-जाँ हुई उस रू-ए-किताबी की याद
रास आया न मुझे हाफ़िज़-ए-क़ुरआँ होना
हैदर अली आतिश
रह रह के कौंदती हैं अंधेरे में बिजलियाँ
तुम याद कर रहे हो कि याद आ रहे हो तुम
हैरत गोंडवी
अब तुझे कैसे बताएँ कि तिरी यादों में
कुछ इज़ाफ़ा ही किया हम ने ख़यानत नहीं की
हलीम कुरेशी
फिर गई इक और ही दुनिया नज़र के सामने
बैठे बैठे क्या बताऊँ क्या मुझे याद आ गया
हमीद जालंधरी
हसीन यादों के चाँद को अलविदा'अ कह कर
मैं अपने घर के अँधेरे कमरों में लौट आया
हसन अब्बासी