जिन की यादों से रौशन हैं मेरी आँखें
दिल कहता है उन को भी मैं याद आता हूँ
हबीब जालिब
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कुछ लोग ख़यालों से चले जाएँ तो सोएँ
बीते हुए दिन रात न याद आएँ तो सोएँ
हबीब जालिब
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किस मुँह से करें उन के तग़ाफ़ुल की शिकायत
ख़ुद हम को मोहब्बत का सबक़ याद नहीं है
हफ़ीज़ बनारसी
दुनिया में हैं काम बहुत
मुझ को इतना याद न आ
हफ़ीज़ होशियारपुरी
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कहीं ये तर्क-ए-मोहब्बत की इब्तिदा तो नहीं
वो मुझ को याद कभी इस क़दर नहीं आए
हफ़ीज़ होशियारपुरी
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भुलाई नहीं जा सकेंगी ये बातें
तुम्हें याद आएँगे हम याद रखना
हफ़ीज़ जालंधरी
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हम ही में थी न कोई बात याद न तुम को आ सके
तुम ने हमें भुला दिया हम न तुम्हें भुला सके
हफ़ीज़ जालंधरी
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