तुम न तौबा करो जफ़ाओं से
हम वफ़ाओं से तौबा करते हैं
साहिर होशियारपुरी
तेरे ख़ुश-पोश फ़क़ीरों से वो मिलते तो सही
जो ये कहते हैं वफ़ा पैरहन-ए-चाक में है
सय्यद आबिद अली आबिद
टैग:
| वफा |
| 2 लाइन शायरी |
उन्हीं को अर्ज़-ए-वफ़ा का था इश्तियाक़ बहुत
उन्हीं को अर्ज़-ए-वफ़ा ना-गवार गुज़री है
सय्यद आबिद अली आबिद