दरवाज़े पर पहरा देने
तन्हाई का भूत खड़ा है
मोहम्मद अल्वी
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मकाँ है क़ब्र जिसे लोग ख़ुद बनाते हैं
मैं अपने घर में हूँ या मैं किसी मज़ार में हूँ
मुनीर नियाज़ी
सुब्ह तक कौन जियेगा शब-ए-तन्हाई में
दिल-ए-नादाँ तुझे उम्मीद-ए-सहर है भी तो क्या
मुज़्तर ख़ैराबादी
तन्हाई के लम्हात का एहसास हुआ है
जब तारों भरी रात का एहसास हुआ है
नसीम शाहजहाँपुरी
शहर में किस से सुख़न रखिए किधर को चलिए
इतनी तन्हाई तो घर में भी है घर को चलिए
नसीर तुराबी
हिचकियाँ रात दर्द तन्हाई
आ भी जाओ तसल्लियाँ दे दो
नासिर जौनपुरी
मैं सोते सोते कई बार चौंक चौंक पड़ा
तमाम रात तिरे पहलुओं से आँच आई
नासिर काज़मी