तन्हाइयों को सौंप के तारीकियों का ज़हर
रातों को भाग आए हम अपने मकान से
कैफ़ अहमद सिद्दीकी
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सहरा में आ निकले तो मालूम हुआ
तन्हाई को वुसअत कम पड़ जाती है
काशिफ़ हुसैन ग़ाएर
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ज़मीं आबाद होती जा रही है
कहाँ जाएगी तन्हाई हमारी
काशिफ़ हुसैन ग़ाएर
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कोई भी यक़ीं दिल को 'शाद' कर नहीं सकता
रूह में उतर जाए जब गुमाँ की तन्हाई
ख़ुशबीर सिंह शाद
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वो नहीं है न सही तर्क-ए-तमन्ना न करो
दिल अकेला है इसे और अकेला न करो
महमूद अयाज़
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कितने चेहरे कितनी शक्लें फिर भी तन्हाई वही
कौन ले आया मुझे इन आईनों के दरमियाँ
महमूद शाम
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ग़म ओ नशात की हर रहगुज़र में तन्हा हूँ
मुझे ख़बर है मैं अपने सफ़र में तन्हा हूँ
मख़मूर सईदी
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