ख़्वाब की तरह बिखर जाने को जी चाहता है
ऐसी तन्हाई कि मर जाने को जी चाहता है
इफ़्तिख़ार आरिफ़
तुम से मिले तो ख़ुद से ज़ियादा
तुम को अकेला पाया हम ने
इरफ़ान सिद्दीक़ी
मैं तो तन्हा था मगर तुझ को भी तन्हा देखा
अपनी तस्वीर के पीछे तिरा चेहरा देखा
जमील मलिक
मुझे तन्हाई की आदत है मेरी बात छोड़ें
ये लीजे आप का घर आ गया है हात छोड़ें
जावेद सबा
जम्अ करती है मुझे रात बहुत मुश्किल से
सुब्ह को घर से निकलते ही बिखरने के लिए
जावेद शाहीन
उदासियाँ हैं जो दिन में तो शब में तन्हाई
बसा के देख लिया शहर-ए-आरज़ू मैं ने
जुनैद हज़ीं लारी
तन्हाई की दुल्हन अपनी माँग सजाए बैठी है
वीरानी आबाद हुई है उजड़े हुए दरख़्तों में
कैफ़ अहमद सिद्दीकी