EN اردو
Tanhai शायरी | शाही शायरी

Tanhai

66 शेर

ख़्वाब की तरह बिखर जाने को जी चाहता है
ऐसी तन्हाई कि मर जाने को जी चाहता है

इफ़्तिख़ार आरिफ़




तुम से मिले तो ख़ुद से ज़ियादा
तुम को अकेला पाया हम ने

इरफ़ान सिद्दीक़ी




मैं तो तन्हा था मगर तुझ को भी तन्हा देखा
अपनी तस्वीर के पीछे तिरा चेहरा देखा

जमील मलिक




मुझे तन्हाई की आदत है मेरी बात छोड़ें
ये लीजे आप का घर आ गया है हात छोड़ें

जावेद सबा




जम्अ करती है मुझे रात बहुत मुश्किल से
सुब्ह को घर से निकलते ही बिखरने के लिए

जावेद शाहीन




उदासियाँ हैं जो दिन में तो शब में तन्हाई
बसा के देख लिया शहर-ए-आरज़ू मैं ने

जुनैद हज़ीं लारी




तन्हाई की दुल्हन अपनी माँग सजाए बैठी है
वीरानी आबाद हुई है उजड़े हुए दरख़्तों में

कैफ़ अहमद सिद्दीकी