टूट कर रूह में शीशों की तरह चुभते हैं
फिर भी हर आदमी ख़्वाबों का तमन्नाई है
असग़र मेहदी होश
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ख़्वाबों के उफ़ुक़ पर तिरा चेहरा हो हमेशा
और मैं उसी चेहरे से नए ख़्वाब सजाऊँ
अतहर नफ़ीस
आईना आईना तैरता कोई अक्स
और हर ख़्वाब में दूसरा ख़्वाब है
अतीक़ुल्लाह
हर एक रात को महताब देखने के लिए
मैं जागता हूँ तिरा ख़्वाब देखने के लिए
अज़हर इनायती
हमारे ख़्वाब चोरी हो गए हैं
हमें रातों को नींद आती नहीं है
बख़्श लाइलपूरी
याद में ख़्वाब में तसव्वुर में
आ कि आने के हैं हज़ार तरीक़
बयान मेरठी
बहती हुई आँखों की रवानी में मरे हैं
कुछ ख़्वाब मिरे ऐन-जवानी में मरे हैं
एजाज तवक्कल
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