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इश्क शायरी | शाही शायरी

इश्क

422 शेर

मोहब्बत एक ख़ुशबू है हमेशा साथ चलती है
कोई इंसान तन्हाई में भी तन्हा नहीं रहता

बशीर बद्र




मोहब्बतों में दिखावे की दोस्ती न मिला
अगर गले नहीं मिलता तो हाथ भी न मिला

बशीर बद्र




मुद्दत से इक लड़की के रुख़्सार की धूप नहीं आई
इस लिए मेरे कमरे में इतनी ठंडक रहती है

बशीर बद्र




मुझे इश्तिहार सी लगती हैं ये मोहब्बतों की कहानियाँ
जो कहा नहीं वो सुना करो जो सुना नहीं वो कहा करो

बशीर बद्र




न जी भर के देखा न कुछ बात की
बड़ी आरज़ू थी मुलाक़ात की

बशीर बद्र




पत्थर मुझे कहता है मिरा चाहने वाला
मैं मोम हूँ उस ने मुझे छू कर नहीं देखा

बशीर बद्र




रात तेरी यादों ने दिल को इस तरह छेड़ा
जैसे कोई चुटकी ले नर्म नर्म गालों में

बशीर बद्र