'अतहर' तुम ने इश्क़ किया कुछ तुम भी कहो क्या हाल हुआ
कोई नया एहसास मिला या सब जैसा अहवाल हुआ
अतहर नफ़ीस
हमारे इश्क़ में रुस्वा हुए तुम
मगर हम तो तमाशा हो गए हैं
अतहर नफ़ीस
इक शक्ल हमें फिर भाई है इक सूरत दिल में समाई है
हम आज बहुत सरशार सही पर अगला मोड़ जुदाई है
अतहर नफ़ीस
हुस्न और इश्क़ हैं दोनों काफ़िर
दोनों में इक झगड़ा सा है
अज़ीम कुरेशी
कभी क़रीब कभी दूर हो के रोते हैं
मोहब्बतों के भी मौसम अजीब होते हैं
अज़हर इनायती
मोहब्बत लफ़्ज़ तो सादा सा है लेकिन 'अज़ीज़' इस को
मता-ए-दिल समझते थे मता-ए-दिल समझते हैं
अज़ीज़ वारसी
न जाने कौन सी मंज़िल पे इश्क़ आ पहुँचा
दुआ भी काम न आए कोई दवा न लगे
अज़ीज़ुर्रहमान शहीद फ़तेहपुरी