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रंग कहाँ है साया सा है | शाही शायरी
rang kahan hai saya sa hai

ग़ज़ल

रंग कहाँ है साया सा है

अज़ीम कुरेशी

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रंग कहाँ है साया सा है
नक़्श कहाँ है धोका सा है

सुब्ह की रंगत ज़र्दी-माइल
शाम नहीं है धड़का सा है

दिल का ख़ून हुआ हो शायद
दूर परे जो कोहरा सा है

सैल-ए-इश्क़ थमा कब होगा
दरिया है और चढ़ता सा है

लब उस के जो खुलते देखे
एक जहाँ कुछ हँसता सा है

अस्ल में नक़्श-ए-कैफ़-ए-हस्ती
फ़ानी सा है मिटता सा है

हुस्न और इश्क़ हैं दोनों काफ़िर
दोनों में इक झगड़ा सा है

आओ प्यार से धो लें उस को
नक़्श-ए-जहाँ कुछ मैला सा है