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चितवन जो क़हर की है तो तेवर जलाल के | शाही शायरी
chitwan jo qahr ki hai to tewar jalal ke

ग़ज़ल

चितवन जो क़हर की है तो तेवर जलाल के

मुबारक अज़ीमाबादी

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चितवन जो क़हर की है तो तेवर जलाल के
मतलब ये है कि रख दे कलेजा निकाल के

वाइज़ से बहस-ए-बादा-ओ-पैमाना क्या करूँ
कुछ लोग रह गए हैं पुराने ख़याल के

सौ दाग़ जिन के लाए हैं ज़ेर-ए-मज़ार हम
एहसाँ जता रहे हैं वो दो फूल डाल के

फिर ढूँढता है दिल ख़लिश-ए-ख़ार-ए-आरज़ू
पछता रहा हूँ दिल से ये काँटा निकाल के

ये ग़म-कदा है इस में 'मुबारक' ख़ुशी कहाँ
ग़म को ख़ुशी बना कोई पहलू निकाल के