दिलबर से हम अपने जब मिलेंगे
इस गुम-शुदा दिल से तब मिलेंगे
ये किस को ख़बर है अब के बिछड़े
क्या जानिए उस से कब मिलेंगे
जान-ओ-दिल-ओ-होश-ओ-सब्र-ओ-ताक़त
इक मिलने से उस के सब मिलेंगे
दुनिया है सँभल के दिल लगाना
याँ लोग अजब अजब मिलेंगे
ज़ाहिर में तो ढब नहीं है कोई
हम यार से किस सबब मिलेंगे
होगा कभी वो भी दौर जो हम
दिलदार से रोज़-ओ-शब मिलेंगे
आराम 'हसन' तभी तो होगा
उस लब से जब अपने लब मिलेंगे
ग़ज़ल
दिलबर से हम अपने जब मिलेंगे
मीर हसन