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दिल शायरी | शाही शायरी

दिल

292 शेर

मुझे फूँकने से पहले मिरा दिल निकाल लेना
ये किसी की है अमानत मिरे साथ जल न जाए

please remove my heart before i am consigned to flames
As it belongs to someone else it should not burn with me

अनवर मिर्ज़ापुरी




जागती आँख से जो ख़्वाब था देखा 'अनवर'
उस की ताबीर मुझे दिल के जलाने से मिली

अनवर सदीद




दिल को मालूम है क्या बात बतानी है उसे
उस से क्या बात छुपानी है ज़बाँ जानती है

अरशद अब्दुल हमीद




अदा से देख लो जाता रहे गिला दिल का
बस इक निगाह पे ठहरा है फ़ैसला दिल का

अरशद अली ख़ान क़लक़




दिल की ज़िद इस लिए रख ली थी कि आ जाए क़रार
कल ये कुछ और कहेगा मुझे मालूम न था

आरज़ू लखनवी




जो दिल रखते हैं सीने में वो काफ़िर हो नहीं सकते
मोहब्बत दीन होती है वफ़ा ईमान होती है

आरज़ू लखनवी




है अजब सी कश्मकश दिल में 'असर'
किस को भूलें किस को रक्खें याद हम

असर अकबराबादी