दिल में लेता है चुटकियाँ कोई
हाए इस दर्द की दवा क्या है
अख़्तर शीरानी
इश्क़ को नग़्मा-ए-उम्मीद सुना दे आ कर
दिल की सोई हुई क़िस्मत को जगा दे आ कर
अख़्तर शीरानी
रात भर उन का तसव्वुर दिल को तड़पाता रहा
एक नक़्शा सामने आता रहा जाता रहा
अख़्तर शीरानी
नफ़रत भी उसी से है परस्तिश भी उसी की
इस दिल सा कोई हम ने तो काफ़र नहीं देखा
आलमताब तिश्ना
दूर तक दिल में दिखाई नहीं देता कोई
ऐसे वीराने में अब किस को सदा दी जाए
अली अहमद जलीली
काम अब कोई न आएगा बस इक दिल के सिवा
रास्ते बंद हैं सब कूचा-ए-क़ातिल के सिवा
अली सरदार जाफ़री
दुनिया की महफ़िलों से उकता गया हूँ या रब
क्या लुत्फ़ अंजुमन का जब दिल ही बुझ गया हो
अल्लामा इक़बाल