फिरते हुए किसी की नज़र देखते रहे
दिल ख़ून हो रहा था मगर देखते रहे
असर लखनवी
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जिस्म पाबंद-ए-गुल सही 'आबिद'
दिल मगर वहशतों की बस्ती है
असग़र आबिद
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दिल की जागीर में मेरा भी कोई हिस्सा रख
मैं भी तेरा हूँ मुझे भी तो कहीं रहना है
अशफ़ाक़ हुसैन
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दिल वो सहरा है जहाँ हसरत-ए-साया भी नहीं
दिल वो दुनिया है जहाँ रंग है रानाई है
अता शाद
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हम को न मिल सका तो फ़क़त इक सुकून-ए-दिल
ऐ ज़िंदगी वगरना ज़माने में क्या न था
आज़ाद अंसारी
यादों की महफ़िल में खो कर
दिल अपना तन्हा तन्हा है
आज़ाद गुलाटी
ख़ूँ हुआ दिल कि पशीमान-ए-सदाक़त है वफ़ा
ख़ुश हुआ जी कि चलो आज तुम्हारे हुए लोग
अज़ीज़ हामिद मदनी