दर्द-ए-सर है ख़ुमार से मुझ को
जल्द ले कर शराब आ साक़ी
ताबाँ अब्दुल हई
हम आज राह-ए-तमन्ना में जी को हार आए
न दर्द-ओ-ग़म का भरोसा रहा न दुनिया का
वहीद क़ुरैशी
100 शेर
दर्द-ए-सर है ख़ुमार से मुझ को
जल्द ले कर शराब आ साक़ी
ताबाँ अब्दुल हई
हम आज राह-ए-तमन्ना में जी को हार आए
न दर्द-ओ-ग़म का भरोसा रहा न दुनिया का
वहीद क़ुरैशी