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2 लाइन शायरी शायरी | शाही शायरी

2 लाइन शायरी

22761 शेर

सौदा-गरी नहीं ये इबादत ख़ुदा की है
ऐ बे-ख़बर जज़ा की तमन्ना भी छोड़ दे

अल्लामा इक़बाल




सितारा क्या मिरी तक़दीर की ख़बर देगा
वो ख़ुद फ़राख़ी-ए-अफ़्लाक में है ख़्वार ओ ज़ुबूँ

अल्लामा इक़बाल




तेरा इमाम बे-हुज़ूर तेरी नमाज़ बे-सुरूर
ऐसी नमाज़ से गुज़र ऐसे इमाम से गुज़र

अल्लामा इक़बाल




तिरे आज़ाद बंदों की न ये दुनिया न वो दुनिया
यहाँ मरने की पाबंदी वहाँ जीने की पाबंदी

अल्लामा इक़बाल




तिरे इश्क़ की इंतिहा चाहता हूँ
मिरी सादगी देख क्या चाहता हूँ

अल्लामा इक़बाल




तुझे किताब से मुमकिन नहीं फ़राग़ कि तू
किताब-ख़्वाँ है मगर साहिब-ए-किताब नहीं

अल्लामा इक़बाल




तू है मुहीत-ए-बे-कराँ मैं हूँ ज़रा सी आबजू
या मुझे हम-कनार कर या मुझे बे-कनार कर

अल्लामा इक़बाल