EN اردو
2 लाइन शायरी शायरी | शाही शायरी

2 लाइन शायरी

22761 शेर

पास था नाकामी-ए-सय्याद का ऐ हम-सफ़ीर
वर्ना मैं और उड़ के आता एक दाने के लिए

अल्लामा इक़बाल




पुराने हैं ये सितारे फ़लक भी फ़र्सूदा
जहाँ वो चाहिए मुझ को कि हो अभी नौ-ख़ेज़

अल्लामा इक़बाल




ऋषी के फ़ाक़ों से टूटा न बरहमन का तिलिस्म
असा न हो तो कलीमी है कार-ए-बे-बुनियाद

अल्लामा इक़बाल




सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्ताँ हमारा
हम बुलबुलें हैं इस की ये गुलसिताँ हमारा

अल्लामा इक़बाल




सबक़ मिला है ये मेराज-ए-मुस्तफ़ा से मुझे
कि आलम-ए-बशरीयत की ज़द में है गर्दूं

अल्लामा इक़बाल




समुंदर से मिले प्यासे को शबनम
बख़ीली है ये रज़्ज़ाक़ी नहीं है

अल्लामा इक़बाल




सौ सौ उमीदें बंधती है इक इक निगाह पर
मुझ को न ऐसे प्यार से देखा करे कोई

अल्लामा इक़बाल