सिगरटें चाय धुआँ रात गए तक बहसें
और कोई फूल सा आँचल कहीं नम होता है
वाली आसी
सिगरटें चाय धुआँ रात गए तक बहसें
और कोई फूल सा आँचल कहीं नम होता है
वाली आसी
ग़म के रिश्तों को कभी तोड़ न देना 'वाली'
ग़म ख़याल-ए-दिल-ए-ना-शाद बहुत करता है
वाली आसी
हम हार गए तुम जीत गए हम ने खोया तुम ने पाया
इन छोटी छोटी बातों का हम कोई ख़याल नहीं करते
वाली आसी
हम हार गए तुम जीत गए हम ने खोया तुम ने पाया
इन छोटी छोटी बातों का हम कोई ख़याल नहीं करते
वाली आसी
हम ख़ून की क़िस्तें तो कई दे चुके लेकिन
ऐ ख़ाक-ए-वतन क़र्ज़ अदा क्यूँ नहीं होता
वाली आसी
हमारे शहर में अब हर तरफ़ वहशत बरसती है
सो अब जंगल में अपना घर बनाना चाहते हैं हम
वाली आसी