इश्क़ की राह में यूँ हद से गुज़र मत जाना 
हों घड़े कच्चे तो दरिया में उतर मत जाना
वाली आसी
कभी भूले से भी अब याद भी आती नहीं जिन की 
वही क़िस्से ज़माने को सुनाना चाहते हैं हम
वाली आसी
कभी भूले से भी अब याद भी आती नहीं जिन की 
वही क़िस्से ज़माने को सुनाना चाहते हैं हम
वाली आसी
मैं जिस का जवाब न दे पाऊँ 
ऐसा भी कोई सवाल करना
वाली आसी
मौज-ए-हवा आब-ए-रवाँ और ये ज़मीन ओ आसमाँ 
इक रोज़ सब जाएँगे थक अल्लाह बस बाक़ी हवस
वाली आसी
मौज-ए-हवा आब-ए-रवाँ और ये ज़मीन ओ आसमाँ 
इक रोज़ सब जाएँगे थक अल्लाह बस बाक़ी हवस
वाली आसी
मुसल्ला रखते हैं सहबा-ओ-जाम रखते हैं 
फ़क़ीर सब के लिए इंतिज़ाम रखते हैं
वाली आसी

