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2 लाइन शायरी शायरी | शाही शायरी

2 लाइन शायरी

22761 शेर

आँख की पुतलियों को ग़ौर से देख
तेरी तस्वीर हू-ब-हू है यहाँ

वाजिद अमीर




आँख की पुतलियों को ग़ौर से देख
तेरी तस्वीर हू-ब-हू है यहाँ

वाजिद अमीर




झुक के जो आप से मिलता होगा
उस का क़द आप से ऊँचा होगा

वकील अख़्तर




किसी सूरत कोई सूरत निकालो
मुझे बे-मौत मरने से बचा लो

वकील अख़्तर




उस शख़्स के ग़म का कोई अंदाज़ा लगाए
जिस को कभी रोते हुए देखा न किसी ने

वकील अख़्तर




उस शख़्स के ग़म का कोई अंदाज़ा लगाए
जिस को कभी रोते हुए देखा न किसी ने

वकील अख़्तर




आज तक जो भी हुआ उस को भुला देना है
आज से तय है कि दुश्मन को दुआ देना है

वाली आसी