आँख की पुतलियों को ग़ौर से देख
तेरी तस्वीर हू-ब-हू है यहाँ
वाजिद अमीर
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आँख की पुतलियों को ग़ौर से देख
तेरी तस्वीर हू-ब-हू है यहाँ
वाजिद अमीर
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झुक के जो आप से मिलता होगा
उस का क़द आप से ऊँचा होगा
वकील अख़्तर
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किसी सूरत कोई सूरत निकालो
मुझे बे-मौत मरने से बचा लो
वकील अख़्तर
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उस शख़्स के ग़म का कोई अंदाज़ा लगाए
जिस को कभी रोते हुए देखा न किसी ने
वकील अख़्तर
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उस शख़्स के ग़म का कोई अंदाज़ा लगाए
जिस को कभी रोते हुए देखा न किसी ने
वकील अख़्तर
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आज तक जो भी हुआ उस को भुला देना है
आज से तय है कि दुश्मन को दुआ देना है
वाली आसी
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